रायबरेली, 31 मई को पूरा होने वाले देवानंदपुर के मकानों को देखकर नहीं लगता कि चार महीने से पहले ये रहने लायक हो सकेंगे। गरीबों को आशियाना देने के लिए चलायी गयी कांशीराम शहरी आवास योजना में पलीता लगाने का काम निर्माण करने वाली एजेंसियों ने पहले ही कर दिया था और रही सही कसर लोक निर्माण, जल निगम व बिजली विभाग पूरी कर रहा है। वह पर न तो जाने के लिए रास्ता है, न पीने के लिए पानी और न ही बिजली है । ये भले ही रंगे व पुते दिखाई दे रहे पर उनकी गुणवत्ता खराब है। दीवारों से सीमेंट के झर रहे हैं। ठेकेदार बिना मेनहोल का ढक्कन लगाये चला गया, जिससे बदबू से लोग परेशान हैं।

प्रदेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट की पहली वरीयता में शामिल शहरी काशी आवासीय योजना का प्रथम फेज पूरा हो गया है। निर्माण की जिम्मेदारी रायबरेली विकास प्राधिकरण को दी गयी है। पहले चरण में वर्ष 2008-09 के दौरान 25.84 करोड़ की लागत से 320 मकान बनाये गये हैं। इनमें से 208 का आवंटन भी कर दिया गया है। 18 आवंटी अभी तक कब्जा लेने नहीं पहुंचे हैं। जिन लोगों ने कब्जा ले भी लिया है वह ताला बंद कर कहीं और रह रहे हैं। एक सप्ताह पूर्व जिलाधिकारी ने आवंटियों को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने कालोनी में रहना शुरू न किया तो उनका आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा। उनकी जगह दूसरे पात्र लोगों को मकान का आवंटन कर दिया जाएगा।

दूसरे फेज का निर्माण कार्य खोर व देवानंदपुर में किया जा रहा है। इसमें खोर वन में 256 खोर टू में 208 व देवानंदपुर में 320 मकानों का निर्माण कार्य चल रहा है। फिनशिंग कार्य नहीं हुआ है। सड़क, पेयजल, आदि सभी व्यवस्था की जानी शेष है। जिले में कुल 1500 मकान बनाये जाने हैं। जिनमें से अभी तक 784 मकान बनाये जाने की प्रक्रिया चल रही है। विकास प्राधिकरण ने आरसी कास्ट्रक्शन कंपनी को निर्माण कार्य का ठेका दिया है। खोर प्रथम में अभी सभी सुविधाओं की व्यवस्था नहीं हो पायी है। यहां आंगनबाड़ी केंद्र स्वास्थ्य केंद्र, सरकारी कोटे की दुकान, स्कूल सहित अन्य सभी व्यवस्थाएं की जानी बाकी है। निर्माण कार्य में विलंब होने के कारण लागत भी बढ़ रही है। मान्यवर कांशी राम शहरी दलित बाहुल्य बस्ती के रूप में बालापुर को चुना गया है। यहां सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त की जानी हैं।