रायबरेली,  प्रदूषण रोकने में पेड़ों की अहम भूमिका होती है । मनुष्य पेड़ों से निकलने वाली आक्सीजन ग्रहण करते है और बदले में कार्बनडाइ आक्साइड गैस वायुमण्डल में छोड़ते है जो पेड़ ग्रहण कर आक्सीजन में बदलते है। हरे पेड़ों की काटन से वायुमण्डल में कार्बनडाइ आक्साइड जैसी विषैली गैस ज्यादा होने से दिन प्रतिदिन तापमान अधिक हो रहा है। दिन प्रतिदिन बढ़ रहे प्रदूषण के आगे विभागों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिये हैं। प्रदूषण नियंत्रण को विभागों ने जागरुकता के लिए कोई कार्यक्रम नहीं किया। ध्वनि, वायु व जल प्रदूषण से लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है, लेकिन जनता को कौन कहे प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों को भी इसकी फिक्र नहीं हैं। वन विभाग के अधिकारियों की माने तो ग्लोबल वार्मिग के कारण ही सबसे ज्यादा पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। जिससे अटलांटिक महासागर पर बने ग्लेशियर पिघलने से तबाही मच रही है। जबकि भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2005 की तुलना में 2009 में रायबरेली का वन परिक्षेत्र एक प्रतिशत बढ़ गया है। अधिकारियों ने बताया कि रायबरेली का किसान सीमान्त है मतलब उसके पास कृषि के लिये भूमि बहुत कम है। इसके लिये वह नये पेड़ों को लगाता नही और पुराने पेड़ों को काट कर कृषि योग भूमि बनाता जाता है।