रायबरेली , अगस्त । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी आज दलितों के घर की देवढ़ी लांघी और महिलाओं की चौपाल लगाई। सोनिया गांधी आज अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली  पहुंचीं। करीब सात घंटे में उन्होंने करीब दो दर्जन गांवों का अचानक दौरा किया और अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का कुशलक्षेम पूछा। खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर गांव दलित बहुल हैं। राहुल गांधी के दलित परिवारों के बीच उठने-बैठने को लेकर बसपा अध्यक्ष मायावती तीखी टिप्पणी कर चुकी हैं। चार दिन पहले ही राहुल गांधी भी एक दलित परिवार के घर रूके थे। पर आज सोनिया गांधी एक नहीं दर्जनों दलित परिवारों के घर गईं और वहीं पर बैठकर उन्होंने सबकी समस्याएं सुनीं। जिनका समाधान फौरन हो सकता था, उसका समाधान उनके प्रतिनिधि केएल शर्मा ने फोन पर आला अफसरों से बात कर किया। गांव वालों की समस्याओं में बिजली, पानी, शिक्षा, रोजगार आदि मुख्य मुद्दे थे। भादों की तीखी धूप और असहनीय उमस के बीच सोनिया गांधी ने करीब सात घंटे गांव की दलित महिलाओं के बीच बिताए। वे आज यहां तीन दिन के दौरे पर पहुंचीं। पहुंचते ही वे कुर्री सुदौली गांव की ओर मुड़ गईं। जिसके बाद से वे शाम होने तक गांव के लोगों के बीच घूमती रहीं। इस बीच उन्हें इतना भी समय नहीं मिला कि वे बाहर बैठ कर आराम से भोजन कर सकें। उन्होंने गाड़ी के भीतर ही दोपहर का भोजन किया। सोनिया गांधी सुबह 9.35 बजे रायबरेली पहुंची। सबसे पहले वे बछरावां विधानसभा के कुर्री सुदौली गांव के पुरवा खिरवां के हीरा पासी के दरवाजे पर पहुंची जहांं कांग्रेस अध्यक्ष की चौपाल लग गई। गांव वालों को जैसे पता चला कि सोनिया गांधी आई हैं, वे हैरान होकर उनसे मिलने पहुंचे। गांव के दौरे का उनका कार्यक्रम पूर्व निर्धारित नहीं था। यह गांव दलित बहुल है और सोनिया गांधी के पहुंचते ही बड़ी संख्या में दलित महिलाएं उनसे मिलने पहुंचीं। इन महिलाओं ने रोजमर्रा की समस्याओं के बारे में बताया। इसके बाद सोनिया गांधी सब्जी गांव पहुंचीं तो वहां भी वही नजारा देखने को मिला। वहां उन्होंने नवमी लाल पासी से नरेगा और अन्य विकास कार्यों के बारे में जानकारी ली। नवमी लाल पासी ने उनसे नरेगा संबंधी कामों की शिकायत की थी। सोनिया गांधी जिस भी गांव में जातीं, वे किसी भी दलित परिवार के दरवाजे पर बिछी खटिया पर बैठ जातीं और लोगों से उनकी दिक्कतों के बारे में पूछतीं। उनका तीसरा पड़ाव गजियापुर गांव था जो पिछड़ा और दलित बहुल गांव है। यहां वे कृष्ण कुमार कुरील के घर के आगे रूकीं। सोनिया गांधी का कारवां समौधा, राजामऊ, कड़िया खेरा, कलुई खेडा, मदन दोसी, पश्चिम गांव आदि गांव होता हुआ सतांव विधानसभा के गांव में गईं। सतांव विधानसभा के अघौरा घाट, पिछौरा, नंदा खेडा, सराय उमर, पैंड़ेपुर, पारागांव, अड़ोबर, अलीपुर खालसा, पहाड़पुर और छोटी तिलगी गांव में गईं। पैड़ेपुर गांव में उन्होंने दलित महिलाओं से बात की। सोनिया गांधी ने गांव की महिलाओं से पूछा कि क्या उन्हें स्वयं सहायता समूह बनाने के बारे में जानकारी है? इस पर गांव की महिलाओं ने अलग-अलग जबाब दिया। कुछ जागरूक थीं तो कुछ को पूरी जानकारी नहीं थी। इसी गांव में उन्होंने नरेगा संबंधी कामों की जानकारी ली। इसके बाद वे पारा गांव गईं जहां पर वे वरिष्ठ कांग्रेसी ल“न प्रसाद अवस्थी के घर गईं। सोनिया गांधी ने बुजुर्ग कांग्रेसी नेता के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। पारा गांव में वे मूसा कहार के घर गईं जबकि अलीपुर खालसा में रामपाल लोधी के घर गईं। पिछड़ा बहुल अड़ोबर गांव में वे राम प्रसाद मौर्या के आगे रूकीं और वहीं पर गांव वालों से उनकी बात हुई। सतांव विधानसभा क्षेत्र में ही सोनिया गांधी कासो पहाड़पुर गांव में पैदल घूमीं। यहां पर उन्होंने महिलाओं और बच्चों से बातचीत की। बच्चों से उन्होंने मिड डे मील और शिक्षा के बारे में जानकारी ली। गौरतलब है कि सतांव विधानसभा क्षेत्र में भी सूखे का खासा असर है। सोनिया गांधी ने राह चलते हुए धान की सूखती फसल का भी जायजा लिया। सोनिया गांधी का यह दौरा कांग्रेस के दलित एजंडा से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में दलितों का एक तबका कांग्रेस की तरफ लौटा था और अब कांग्रेस दलितों के मुद्दों को लेकर खास जोर दे रही है। राहुल गांधी तो इस मुहिम में पूरी प्रतिबद्धता के साथ जुट गए हैं। पर सोनिया गांधी ने आज दलित बहुल गांवों में जाकर दलित एजंडा को और धार दे दी।